Saturday, July 18, 2015

-.- रात -.-

 

अँधेरी रात
जल रही
धीरे धीरे
मसान सी
बंजर मन में
ख़ामोशी
शमशान सी
ज़िन्दगी
बेतरतीब ऐसे
जैसे पर कटे
पंछी की
उड़ान सी
तन्हा हूँ
जैसे कोई डगर
सुनसान सी
देता है दिल
तुझको सदायें
जैसे गूंजे
आसमां में
अज़ान सी ।

--- सुदेश भट्ट ---

1 comment:

K said...

lambe samay baad aapke blog pe aaya, aasha karta hu aap ache honge :)