Saturday, August 31, 2013

तस्वीर

     

तेरे शानों पे बिखरे
घने गेसुओं से ये शाम के अंधेरे हैं
आफताब है तू
तेरे नूर से रोशन ये सवेरे हैं
करो मेरा यकीं दिलनशीं
चुराए सारे रंग
तितलियों ने तेरी तस्वीर से हैं
निकला न करो
बेपरवाह चमन में
ये बागों में खिले फूल
तेरी खुशबू के लुटेरे हैं
सुने थे बचपन में
कहानियों में
परियों के किस्से
देखा तुमको
तो आज मालूम हुआ
वो सारे तेरे ही रूप के चरचे हैं
रहे तू और तेरी तिशनगी
मेरे दिल में बाकि
तेरी आँखों की बात कुछ और है
यूँ तो डूबने को समन्दर बहुतेरे हैं 



----  सुदेश भट्ट  ----