Wednesday, August 11, 2010

दिल

एक सन्नाटा सा

गुंचा ए दिल में पसरा रहा

दर्द भी दिल में

सहमा सहमा सा रहा

न था तुझे वक्त

मुझको समेटने का

तिनका तिनका में

तुझ में बिखरा रहा

न तुझ में तू मिला

न मुझ में मैं रहा

क्यों तेरी आँखों ने

मेरी नज़रों को आवारा किया

----सुदेश भट्ट -----

Thursday, August 5, 2010

कभी कभी

छोटी छोटी बातें

कभी कभी बड़ी लगती है

कभी लगे जिंदगी छोटी सी

कभी कभी बड़ी लम्बी लगती है

कभी दूर लगें सारी खुशियाँ

कभी-कभी हरदम पास लगती है

ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी

तू मुझको जादूगर लगती है

कभी मुस्कराती खिलखिलाती

कभी कभी गमगीन सी लगती है

थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी

कभी कडवी कभी कभी नमकीन लगती है

ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी

तू मुझको जादूगर लगती है

कभी लगे तू जानी पहचानी

कभी कभी अनजान सी लगती है

कभी बड़ी मुश्किल सी

कभी कभी बड़ी आसान लगती है

ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी

तू मुझको जादूगर लगती है

--सुदेश भट्ट---