एक सन्नाटा सा
गुंचा ए दिल में पसरा रहा
दर्द भी दिल में
सहमा सहमा सा रहा
न था तुझे वक्त
मुझको समेटने का
तिनका तिनका में
तुझ में बिखरा रहा
न तुझ में तू मिला
न मुझ में मैं रहा
क्यों तेरी आँखों ने
मेरी नज़रों को आवारा किया
----सुदेश भट्ट -----
Wednesday, August 11, 2010
Thursday, August 5, 2010
कभी कभी
छोटी छोटी बातें
कभी कभी बड़ी लगती है
कभी लगे जिंदगी छोटी सी
कभी कभी बड़ी लम्बी लगती है
कभी दूर लगें सारी खुशियाँ
कभी-कभी हरदम पास लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
कभी मुस्कराती खिलखिलाती
कभी कभी गमगीन सी लगती है
थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी
कभी कडवी कभी कभी नमकीन लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
कभी लगे तू जानी पहचानी
कभी कभी अनजान सी लगती है
कभी बड़ी मुश्किल सी
कभी कभी बड़ी आसान लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
--सुदेश भट्ट---
कभी कभी बड़ी लगती है
कभी लगे जिंदगी छोटी सी
कभी कभी बड़ी लम्बी लगती है
कभी दूर लगें सारी खुशियाँ
कभी-कभी हरदम पास लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
कभी मुस्कराती खिलखिलाती
कभी कभी गमगीन सी लगती है
थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी
कभी कडवी कभी कभी नमकीन लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
कभी लगे तू जानी पहचानी
कभी कभी अनजान सी लगती है
कभी बड़ी मुश्किल सी
कभी कभी बड़ी आसान लगती है
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी
तू मुझको जादूगर लगती है
--सुदेश भट्ट---
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