एक सन्नाटा सा
गुंचा ए दिल में पसरा रहा
दर्द भी दिल में
सहमा सहमा सा रहा
न था तुझे वक्त
मुझको समेटने का
तिनका तिनका में
तुझ में बिखरा रहा
न तुझ में तू मिला
न मुझ में मैं रहा
क्यों तेरी आँखों ने
मेरी नज़रों को आवारा किया
----सुदेश भट्ट -----
Wednesday, August 11, 2010
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