Wednesday, August 11, 2010

दिल

एक सन्नाटा सा

गुंचा ए दिल में पसरा रहा

दर्द भी दिल में

सहमा सहमा सा रहा

न था तुझे वक्त

मुझको समेटने का

तिनका तिनका में

तुझ में बिखरा रहा

न तुझ में तू मिला

न मुझ में मैं रहा

क्यों तेरी आँखों ने

मेरी नज़रों को आवारा किया

----सुदेश भट्ट -----