तुम
दिल से की हुई
इबादत सी हो तुम
प्यार से लिखी हुई
इक इबारत सी हो तुम
बड़े जतन से हांसिल हुई
कोई महारत सी हो तुम
सबकी नज़र बचा के
अदा से की गई
एक शरारत सी हो तुम
गुनगुनाये हर पल
जिनको दिल बेख्याली में
ऐसे तरानों सी हो तुम
बचपन के छोटे छोटे
मासूम बहानों सी हो तुम
नशेमन तुम्हारी दो आँखे
छलकते हुए पैमानों सी हो तुम
हर रोज़ लगे
जिसमे ये दुनिया नई
ऐसे जादुई आईने सी हो तुम
अलग अलग सबके लिए ज़िन्दगी के
खूबसूरत मायनों सी हो तुम
सर्द रात के बाद
उगते सूरज की तपन सी हो तुम
दूर हो मगर
नज़र को नसीब हो
रातों को चाँद से चकोर की
लगन सी हो तुम!
---सुदेश भट्ट ---
दिल से की हुई
इबादत सी हो तुम
प्यार से लिखी हुई
इक इबारत सी हो तुम
बड़े जतन से हांसिल हुई
कोई महारत सी हो तुम
सबकी नज़र बचा के
अदा से की गई
एक शरारत सी हो तुम
गुनगुनाये हर पल
जिनको दिल बेख्याली में
ऐसे तरानों सी हो तुम
बचपन के छोटे छोटे
मासूम बहानों सी हो तुम
नशेमन तुम्हारी दो आँखे
छलकते हुए पैमानों सी हो तुम
हर रोज़ लगे
जिसमे ये दुनिया नई
ऐसे जादुई आईने सी हो तुम
अलग अलग सबके लिए ज़िन्दगी के
खूबसूरत मायनों सी हो तुम
सर्द रात के बाद
उगते सूरज की तपन सी हो तुम
दूर हो मगर
नज़र को नसीब हो
रातों को चाँद से चकोर की
लगन सी हो तुम!
---सुदेश भट्ट ---