तुम
दिल से की हुई
इबादत सी हो तुम
प्यार से लिखी हुई
इक इबारत सी हो तुम
बड़े जतन से हांसिल हुई
कोई महारत सी हो तुम
सबकी नज़र बचा के
अदा से की गई
एक शरारत सी हो तुम
गुनगुनाये हर पल
जिनको दिल बेख्याली में
ऐसे तरानों सी हो तुम
बचपन के छोटे छोटे
मासूम बहानों सी हो तुम
नशेमन तुम्हारी दो आँखे
छलकते हुए पैमानों सी हो तुम
हर रोज़ लगे
जिसमे ये दुनिया नई
ऐसे जादुई आईने सी हो तुम
अलग अलग सबके लिए ज़िन्दगी के
खूबसूरत मायनों सी हो तुम
सर्द रात के बाद
उगते सूरज की तपन सी हो तुम
दूर हो मगर
नज़र को नसीब हो
रातों को चाँद से चकोर की
लगन सी हो तुम!
---सुदेश भट्ट ---
दिल से की हुई
इबादत सी हो तुम
प्यार से लिखी हुई
इक इबारत सी हो तुम
बड़े जतन से हांसिल हुई
कोई महारत सी हो तुम
सबकी नज़र बचा के
अदा से की गई
एक शरारत सी हो तुम
गुनगुनाये हर पल
जिनको दिल बेख्याली में
ऐसे तरानों सी हो तुम
बचपन के छोटे छोटे
मासूम बहानों सी हो तुम
नशेमन तुम्हारी दो आँखे
छलकते हुए पैमानों सी हो तुम
हर रोज़ लगे
जिसमे ये दुनिया नई
ऐसे जादुई आईने सी हो तुम
अलग अलग सबके लिए ज़िन्दगी के
खूबसूरत मायनों सी हो तुम
सर्द रात के बाद
उगते सूरज की तपन सी हो तुम
दूर हो मगर
नज़र को नसीब हो
रातों को चाँद से चकोर की
लगन सी हो तुम!
---सुदेश भट्ट ---
6 comments:
uttam sr g....
शुक्रिया दोस्त, आपने प्रतिक्रिया दी अच्छा लगा !
क्यों ऐसा लगा की मै तुमको जानता हूँ
very good sir...
aapki pankitiyan bahoot achchi lagi aap aise hi apne vichaar pirokar hamen prerit karte rahiye.
aapke sewa may chaar line....
Ek BACHPAN ka zamaana tha.
Khushiyon ka Khazana tha, Chahat Chand ko pane ki
Dil titli ka Diwana tha.
Khabar na thi kuch subah ki,
Na shamo ka thikana tha.
Thak haar ke ana school se,
Par khelne bhi jana tha.
Dadi ki kahani thi,
Pariyon ka fasana tha.
Barish me kaagaz ki kasti thi,
Har mausam suhana tha.
Har khel me sathi tha,
Har rista nibhana tha.
Rone ki wajah na thi,
Na hasne ka bahana tha.
Ab nahi rahi wo zindagi,
Jaisa BACHAPAN ka jamana tha.
......HEMANT SHARMA......
apki kavita khoobsurat si hai,
"tum" mein chupi apki mohabat ki seerat si hai...
nice poetry
ankita
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