Thursday, October 21, 2010

क्यों

ये उदासी का आलम

जाता क्यों नहीं ,

तू मुझको फिर से

रुलाता क्यों नहीं.

कब तक सहूँ


तेरी ज़ुल्मतो के वही करम ,

तू मुझ पे कोई

नया सितम ढाता क्यों नहीं.

नम आँखों से मेरी

बहने लगें अश्क ,

तू मुझको

कभी इतना हंसाता क्यों नहीं.

जो हर रोज मैं

लाख जतन से छुपाता हूँ,

वो तुझको

कभी नज़र आता क्यों नहीं.

कितना भी हूँ

दूर तुमसे मैं लौट आऊंगा,

तू मुझको

शिद्द्त से कभी बुलाता क्यों नहीं

--सुदेश भट्ट---

7 comments:

ASHOK BAJAJ said...

बहुत अच्छा पोस्ट !

ग्राम- चौपाल में पढ़ें...........

अनाड़ी ब्लोगर का शतकीय पोस्ट http://www.ashokbajaj.com/

विवेक सिंह said...

कवि ने कविता लिखी और फूट लिया, अपना प्रोफाइल ब्लॉग पर लगाता क्यों नहीं ?

Sudesh Bhatt said...

अशोक जी आप ने कविता पढ़ी और अपनी प्रतिक्रिया दी स्नेह के लिए धन्यवाद ,
विवेक जी धन्यवाद, आपके सुझाव पर अमल किया गया है :-)

D said...

bahut achche :)

Sudesh Bhatt said...

धन्यवाद D

Sunil Kumar said...

दूर तुमसे मैं लौट आऊंगा,
तू मुझको
शिद्द्त से कभी बुलाता क्यों नहीं

bahut sundar dil kochhu lene vali rachna , badhai

Sudesh Bhatt said...

सुनील जी आपने प्रतिक्रिया ब्यक्त की अच्छा लगा

धन्यबाद