मेरे आस पास झूट का दलदल है,
मैं उसमें लम्हा-लम्हा डूब रहा हूँ !
जितना भी हाथ-पांव मारता हूँ
और कुछ अन्दर धंस जाता हूँ !
मेरे आस पास आहिस्ता आहिस्ता,
लोगों का भंवर बनता जा रहा है !
याहूमेल, जीमेल , ऑरकुट,
फेसबुक,ट्वीटर ,
और मैं कई टुकडों में बंटता बिखरता जा रहा हूँ !
लेकिन क्या करू समय के साथ चलने की होड़ में ,
मैं भी दोड़ में शामिल हूँ
वक़्त धीरे-धीरे रेत की तरह
हाथ से फिसलता जा रहा है!
यूजर नेम, पास वर्ड, स्क्रेप्बुक,वॉल .कमेन्ट
इन्बौक्स, रिप्लाई में उलझता जा रहा हूँ ,
अपने आप को
अपने दोस्तों को अपने समय को खोता जा रहा हूँ !
-----सुदेश भट्ट -------
Monday, June 29, 2009
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10 comments:
बहुत सुन्दर कविता है !
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है !
शुभकामनाओं के साथ बधाई !
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
khud se baat karna sikh gaye ho dost,rafta rafta apne sang bhi nissang hona sikh loge =badhaai,veerubhai1947.blogspot.com
इस झूंठ के दलदल से शीघ्र निकलने की शुभकामनाओं के साथ...
sach much, aajkal aisa hee hai. narayan narayan
swaagat है aapka ............. naye andaz se likhi sochne ko majboor karti है aapki rachna
nice blog & nice kavita
plese visit my blog
http://photographyimage.blogspot.com/
सुन्दर रचना है।बधाई।
आप का ब्लोग जगत मे स्वागत है
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
Kavita achchi lagi.Likhte rahiye.
आप सभी को धन्यबाद आप की प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक और उर्जा प्रदान करने वाली है धन्यबाद
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