कर के फ़ना मेरी हस्ती को
तू जाने तुझको क्या मिला
हम तो कारोबार
छुपा के सबकी नज़रों से
अश्कों का अब करते है
खो के तुझे ढूंडा तो
तू कुछ और मुकम्मल
मुझ में ही मिला
सोचा था करेंगे न भूले से भी याद तुझे
देखो ये गुनाह भी अब हम करते है
ताउम्र चुभते है
दिल में खंजर की तरह कुछ रिश्ते
अपनों के दिए ज़ख्मौं कोकोई भी दवा कहाँ फिर भरती हैं
जिन दरख्तों को बेवक्त ही
रास आ जाए मौसम पतझड़ का
उनकी सूखी शाखौं को फिर
बहार भी आ कर
कहाँ हरा करती है
-----सुदेश भट्ट -----
तू जाने तुझको क्या मिला
हम तो कारोबार
छुपा के सबकी नज़रों से
अश्कों का अब करते है
खो के तुझे ढूंडा तो
तू कुछ और मुकम्मल
मुझ में ही मिला
सोचा था करेंगे न भूले से भी याद तुझे
देखो ये गुनाह भी अब हम करते है
ताउम्र चुभते है
दिल में खंजर की तरह कुछ रिश्ते
अपनों के दिए ज़ख्मौं कोकोई भी दवा कहाँ फिर भरती हैं
जिन दरख्तों को बेवक्त ही
रास आ जाए मौसम पतझड़ का
उनकी सूखी शाखौं को फिर
बहार भी आ कर
कहाँ हरा करती है
-----सुदेश भट्ट -----
4 comments:
very nice supar like , keep it up
shukriya hemant ji
painful:-( dil mai dard paida kar gayi
thank u, dard bhi jaruri hai zindagi me dear
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