आओ तुम्हारी खुबसूरत आँखों की
आज फिर बात करें
बेनूर बहुत है ये दुनिया
आओ आज कुछ नूर की बात करें
जो पल में गुजर गए
आओ उन लम्हों की बात करें
जब तुम अपने से लगे थे
आओ उन दिनों के बेगानेपन की बात करें
तुमने किये मैंने समझे
जो मैंने किये तुम नहीं समझे
आओ उन इशारों की बात करें
जो जर्रे जर्रे में बस गई
आओ तुम्हारी उस खुशबू की बात करें
जो कर गई हर शय को खुशनुमा
तुम्हारी उस मुस्कराहट की बात करें
है रात अँधेरी तो क्या अंधेरों से उजाले की बात करें
आओ तुम को सोचें और चाँद की बात करें
--सुदेश भट्ट---
Wednesday, September 1, 2010
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4 comments:
:) isnt my smile saying it all??? its one of ur bests :)
D आपको कविता पसंद आई मुझे ख़ुशी हुई. कुछ पलों को में कभी भी भूलना नहीं चाहता ऐसे ही पलों को, अपनी भावनाओं को अपनी कविता में बाँध लेता हूँ जब मन होता है कविता पढता हूँ और फिर उन पलों को जी लेता हूँ.धन्यबाद D :-):-)
यादें हैं बातें हैं कवितायें है.
Nice one.
शुक्रिया सुलभ जी :-)
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