उसकी आंखो की हरकत
उसके चेहरे की शिकन से
उसकी सोच को पढता रहता हूँ ,
दुनिया से मोहब्बत से पेश आऊं
इसलिए अपने आप से लड़ता रहता हूँ!
इतनी बड़ी दुनिया में किस - किस का
मिजाज़ बदलता,
इसलिए रोज़
नए सांचे में ढलता रहता हूँ !
मेरे दुश्मनों को कोई आंच ना आए
यही सोच कर रोज़,
अपना बयान बदलता रहता हूँ !
----- सुदेश भट्ट -----
Sunday, September 6, 2009
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