Sunday, September 6, 2009

सोच

उसकी आंखो की हरकत

उसके चेहरे की शिकन से

उसकी सोच को पढता रहता हूँ ,

दुनिया से मोहब्बत से पेश आऊं

इसलिए अपने आप से लड़ता रहता हूँ!

इतनी बड़ी दुनिया में किस - किस का

मिजाज़ बदलता,

इसलिए रोज़

नए सांचे में ढलता रहता हूँ !

मेरे दुश्मनों को कोई आंच ना आए

यही सोच कर रोज़,

अपना बयान बदलता रहता हूँ !

----- सुदेश भट्ट -----

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