तेरे मेरे इस रिश्ते में
शब्द अधूरे लगते है
जो तुम सुनती हो जो मैं कहता हूँ
वो अर्थ अधूरे लगते है!
अब के जो बिछड़े तो शायद
मिलना नामुमकिन हो,
यू तो सारी उम्र भी लोग
मिलते और बिछड़ते है!
चाहे कितना भी सहेज के रखो किताबो में,
वक़्त से पहले डाली से जो टूटे
वो फूल कहाँ फिर खिलते है!
जिनसे प्यार हो,
उनसे रोज कहो,उनसे रोज मिलो,
ऐसे मेहरबां रोज़ कहाँ ,
ज़िन्दगी में फिर मिलते है !
-----सुदेश भट्ट -------
Sunday, September 6, 2009
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