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बचपन से ही कवितायेँ पढने में रूचि थी धीरे धीरे ये रूचि लिखने मे तब्दील हो गयी ,कहीं भी आते जाते कोई चीज मन को छू जाती है या आहत कर जाती है तो अपने आप ही मन शब्दों का एक ताना बाना बुन लेता है और बन जाती है एक नई कविता ! यूँ कई बार कोशिश की पर लिखना है ये सोच कर कभी कुछ नहीं लिख पाया इस लिए ज्यादा नहीं पर थोडा बहुत लम्बे अंतराल पे कुछ नया लिख पाता हूँ! आशा है आप को मेरी कविताये पसंद आयेंगी आपकी राय आपके विचारों का स्वागत है , ब्लॉग पर आने के लिए आपका आभार
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